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Shani Kavacham

Shani Kavacham II शनि कवचं II Shani Kavach अथ श्री शनिकवचम् अस्य श्री शनैश्चरकवचस्तोत्रमंत्रस्य कश्यप ऋषिः II अनुष्टुप् छन्दः II शनैश्चरो देवता II शीं शक्तिः II शूं कीलकम् II शनैश्चरप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः II निलांबरो नीलवपुः किरीटी गृध्रस्थितस्त्रासकरो धनुष्मान् II चतुर्भुजः सूर्यसुतः प्रसन्नः सदा मम स्याद्वरदः प्रशान्तः II १ II Brahma Shani Kavacham                                                    ब्रह्मोवाच II  श्रुणूध्वमृषयः सर्वे शनिपीडाहरं महत् I कवचं शनिराजस्य सौरेरिदमनुत्तमम् II २ II कवचं देवतावासं वज्रपंजरसंज्ञकम् I शनैश्चरप्रीतिकरं सर्वसौभाग्यदायकम् II ३ II ॐ श्रीशनैश्चरः पातु भालं मे सूर्यनंदनः I नेत्रे छायात्मजः पातु पातु कर्णौ यमानुजः II ४ II नासां वैवस्वतः पातु मुखं मे भास्करः सदा I स्निग्धकंठःश्च मे कंठं भुजौ पातु महाभुजः II ५ II स्कंधौ पातु शनिश्चैव करौ पातु शुभप्रदः I वक्षः पातु यमभ्राता कुक्षिं पात्वसितत्सथा II ६ II नाभिं ग्रहपतिः प

SHANI CHALISA

श्री शनि चालीसा  हिंदी में : ॥दोहा॥ जय   गणेश   गिरिजा   सुवन ,  मंगल   करण   कृपाल।    दीनन   के   दुख   दूर   करि ,  कीजै   नाथ   निहाल॥ जय   जय   श्री   शनिदेव   प्रभु ,  सुनहु   विनय   महाराज। करहु   कृपा   हे   रवि   तनय ,  राखहु   जन   की   लाज॥ जयति   जयति   शनिदेव   दयाला।   करत   सदा   भक्तन   प्रतिपाला॥ चारि   भुजा ,  तनु   श्याम   विराजै।   माथे   रतन   मुकुट   छबि   छाजै॥ परम   विशाल   मनोहर   भाला।   टेढ़ी   दृष्टि   भृकुटि   विकराला॥ कुण्डल   श्रवण   चमाचम   चमके।   हिय   माल   मुक्तन   मणि   दमके॥ 1 ॥ कर   में   गदा   त्रिशूल   कुठारा।   पल   बिच   करैं   अरिहिं   संहारा॥ पिंगल ,  कृष्ो ,  छाया   नन्दन।   यम ,  कोणस्थ ,  रौद्र ,  दुखभंजन॥ सौरी ,  मन्द ,  शनी ,  दश   नामा।   भानु   पुत्र   पूजहिं   सब   कामा॥ जा   पर   प्रभु   प्रसन्न   ह्वैं   जाहीं।   रंकहुँ   राव   करैं   क्षण   माहीं॥ 2 ॥ पर्वतहू   तृण   होई   निहारत।   तृणहू   को   पर्वत   करि   डारत॥ राज   मिलत   बन   रामहिं   दीन्हय